दिल से ना बिसारे आपको, दिन हो या हो रात्रि।।
हे करूणा के सागर अगर, कोई हो जाए हम से भुल।
अज्ञानी समझ देना छमा,करना ना हमें खुद से दुर।।
सारे जगत के तारणहार प्रभू, हमको भी शरण में लो।
कर पाए आपका वंदन,थोडी सी कृपा आप करदो।।
भटक गए है कर्तव्य पथ से, रास्ते आप ही दिखलाओ।
अंधकार हो गया है जिवन में, ज्ञान का दिप जला दो।।
जगद्गुरु कृपालु हे नाथ,थोड़ी सी उम्मीद जगा दो।
दे दो जगह अपने चरण रज में,इतनी कृपा वर्षा दो।
जिवन रूपी नैया के,आप ही है खेवनहार प्रभू।
बिच भंवर में है मेरी नैया भी,इसको भी पार लगा दो।।
अहिल्या को को तार दिया, आपने अपने रज कणों से।
सबरी को दिया पुण्य फल प्रभू, उसके जुठे बैर खाके।।
बस इतनी कृपा एक कर दो प्रभू,आया शरण तिहारो।
ले लो शरण में हमको, सब अपराध बिसारो।।
सारा जगत हुआ पापमय,प्रभू इससे हमको उभारों।
नहीं लालसा धन दौलत की,चाहूं सिर्फ शरण तिहारो।।
इतनी सी कृपा कर दो प्रभू, करता रहूं वंदन बारम्बार।
हे दयालु हे दिनबंधू ,मेरी इतनी अरज सुन लिजै।।
मिले जन्म जब भी यहां ,बस अपनी शरण हमें दीजै।
भटक गया कर्तव्य मार्ग से, ज्ञान पटल खोल दिजै।।
करता रहूं आपका वंदन,यही है हमारी अभिलाषा।
मिले जन्म चाहे कितने भी, यही हमारी है लालसा।।
जय श्री राम,जय श्री कृष्ण 🙏
रनजीत कुमार तिवारी