Tuesday, 8 April 2025

मंगल पाडें शहीद दिवस के अवसर पर उनके सम्मान मे एक छोटी-सी कविता लिखने का छोटा प्रयास

नीचे एक मौलिक हिंदी कविता प्रस्तुत की गई है, जो भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के शहीद मंगळ पांडे की वीरता, बलिदान और अटूट देशभक्ति की भावना को सलाम करती है:

शहीद मंगळ पांडे की गाथा

चमकते इतिहास के पन्नों में,
तेरा नाम आज भी गूँजे सुन,
वो खून-ओ-इमान की लौ,
शौर्य की मिसाल तू बनके रह जा।

सरहदों पर न कोई रुकावट आई,
जब तू उठा हथियार, देश का पुकार,
तू नहीं झुका कभी वीरता में,
देश की मुक्ति की उसने दी वार।

तेरी चाल में देश की आहट थी,
तेरी आँखों में उम्मीदों का नूर,
मिट्टी की खुशबू में बसी तेरी शहादत,
हर दिल में तू अमर, शौर्य का दस्तूर।

आज भी हर जवान के स्वर में,
तेरा नाम इक अमर गीत सुनाए,
गिरह-ए-हकीकत में बंधा है इतिहास,
तेरे बलिदान से नवयुग हम सजाए।

अपने कदमों से तू जो लिख गया,
एक नया इतिहास, स्वतंत्रता की राह,
मंगळ पांडे, तेरी शहादत को नमन,
तेरे बल पर आज ये देश गगन छूता जा।


यह कविता मंगळ पांडे की वीरता और उनका देश के प्रति अटूट प्रेम उजागर करती है। इसे याद करते हुए, हम सभी को प्रेरणा मिलती है कि हम अपने वतन की स्वतंत्रता और गरिमा के लिए सदैव सजग रहें। धन्यवाद रनजीत तिवारी बलिया 

Saturday, 11 January 2025

शरारती टिकूं


एक बार की बात है, एक घने जंगल में एक छोटा सा खरगोश रहता था। उसका नाम था टिंकू। टिंकू बहुत चंचल और शरारती था। वह हर समय जंगल में इधर-उधर दौड़ता रहता था और नई-नई चीज़ें सीखता रहता था।
एक दिन, टिंकू जंगल में घूम रहा था तो उसे एक बड़ा सा पेड़ दिखा। पेड़ पर बहुत सारे फल लगे हुए थे। टिंकू को वो फल बहुत ही स्वादिष्ट लग रहे थे। उसने सोचा कि मैं कुछ फल तोड़कर खाऊंगा। लेकिन पेड़ बहुत ऊँचा था और टिंकू उस तक नहीं पहुंच पा रहा था।
तभी उसने देखा कि एक बंदर पेड़ पर बैठा हुआ है। टिंकू बंदर के पास गया और बोला, "बंदर भैया, क्या आप मुझे कुछ फल तोड़कर दे सकते हो?"
बंदर ने टिंकू को देखा और बोला, "अगर तुम मुझे अपना गाजर दे दो तो मैं तुम्हें फल तोड़कर दूंगा।"
टिंकू के पास एक गाजर था। उसने बंदर को गाजर दे दिया और बंदर ने पेड़ से कुछ फल तोड़कर टिंकू को दे दिए। टिंकू बहुत खुश हुआ और उसने बंदर को धन्यवाद दिया।
कहानी का संदेश: दूसरों की मदद करने से हमें भी खुशी मिलती है।


Saturday, 16 November 2024

जिवन से मिली सिख

आदरणीय पाठको आप सबको मेरा सादर प्रणाम मै रनजीत कुमार तिवारी पुत्र श्री शोभनाथ तिवारी माता श्रीमती शांती तिवारी बलिया उतर प्रदेश 277201 का स्थायी निवासी हू मै एक समान्य परिवार से हूं मै आप सबको अपने निजी जिवन से मिली सिख के बारे मे इस लेख के माध्यम से कुछ बताने जा रहा हूँ  कैसा लगा हमे जरूर बताए अगर लेख मे कोई तुरूटी हो तो हमे अज्ञानी समझ कर माफ करे। धन्यवाद 
          आदरणीय पाठको हम सबका जिवन अनेक विविधताओं से भरा पड़ा है सबको  जिवन मे कुछ ना कुछ  सिख प्रत्येक दिन जरूर मिलता है। चाहे वह सिख बुरा हो या अच्छा प्रत्येक व्यक्ती को अपने जिवन मे आए दिन कुछ ना कुछ सिखने को मिलता है। छोटी से छोटी घटनाक्रम आपके जिवन को प्रभावित कर सकती है। कुछ लोग इस सिख से अपनी जिवन को संवार लेते है तो वही कुछ लोग  पुरा जिवन धक्के खाकर निकाल देते है। जिवन से मिली सिख ही मनुष्य को प्रेरणा देती है कुछ करने की संकल्प शक्ति को बढाने की धैर्य की उम्मीद की यही सिख मनुष्य के जिवन को नयी उडान देती है तो वही जिवन को नर्क भी बना देती है। सिख संगत से मिलती है या आपके साथ हुई घटनाक्रम से अच्छी संगत मे अच्छे संस्कार तो गलत संगत से गलत चीजे सिखने को मिलती है। इन्ही उतार-चढ़ाव मे हम जिवन को जिते है वही कितने लोग जिवन मे आए इन उतार-चढ़ाव को बर्दाश्त नही कर पाते और आत्म हत्या या दुसरे किसी व्यक्ती को मार देते है। अक्सर लोग छोटी बातो पर उतावले होकर बड़ा कांड कर बैठते है और अपने जिवन को और कठिन बना लेते है। जिवन है तो समस्या भी होगी इन्ही समस्याओ को धैर्य पूर्वक कोई हल कर लेता है तो वही कितने लोग इन्हे और बढा लेते है। मेरे 34 साल के जिवन मे जो सिख अपने परिवार गांव समाज देश के लोगो से मिला वह मेरे लिए एक बडी बिरासत से कम नही है। मैने अपने जिवन मे रिश्तो का सम्मान देखा तो वही कितने रिश्तो को शर्मशार होते देखा मैने लालच मे लोगो को धर्म बदलते हुए देखा तो वही कितनो को अपने धर्म के लिए मरते हुए भी देखा लोगो को जातियो मे बटते हुए भी देखा दुनियाभर मे अलग भाषा अलग रंग रूप के लोगो को भी देखा मरते, पैदा होते देखा कितने रंग रूप देखने के बाद जो मुझे जिवन से सिख मिली वह यह है की आप अपनी जिम्मेदारी से बिमुख नही हो सकते यह जीवन आपको मिली है तो इसके साथ जिम्मेदारी भी मिल जाती है। इन जिम्मेदारी से आप जितना भागेंगे उतनी ही आपके जिवन मे समस्या बढती जाएगी और आपका चैन सकुन सब खत्म हो जाएगा घर परिवार गांव समाज जहां भी आप रह रहे है। वहां की समस्याओ अच्छे वातावरण साफ सफाई की जिम्मेदारी भी आपकी है हमे घर गांव समाज को कैसा बनाना चाहिए हमारे ही कर्तव्य है हमारी जिम्मेदारी है। इससे भगा नही जा सकता है वर्ना आपका कोई अस्तित्व नही रहेगा ना ही पहचान आप घृणा के पात्र मात्र बनकर रह  जाएंगे इसलिए हमे छोटी छोटी बातो का ध्यान रखना चाहिए और उसका समाधान समय से करना चाहिए। मेरी लेख कैसी लगी आप हमे बता सकते है कीसी भी प्रकार की तुरूटी के लिए मै हृदय से क्षमाप्रार्थी हू आप सबका बहुत बहुत धन्यवाद 🙏🏾

Saturday, 30 September 2023

भ्रष्ट ढोंगी नेता


यह लेख राष्ट्र देश धर्म के लिए है इस लेख को पुरा एक राष्ट्र भक्त धर्म भक्त ही पढ़ सकता है।प्रिय पाठको यह लेख प्रतयेक  जाति धर्म के लोगों के लिए है।जिन्हें अपने धर्म जाति से लगाव हो कोई भी धर्म जाति खराब नहीं होती लोग ही उसे अपने स्वार्थ के लिए खराब बनाने लगते हैं इसलिए यह लेख आवश्यक समक्ष कर लिख रहा हूं हमें एक होना होगा दुश्मनों को देश से इस बार बाहर जाकर अलग देश बनाकर जिवन भर की टेंशन और उनसे रक्षा खातिर सेना पालने शहीद कराने से अच्छा है इनको जिन्दा  जला डालो सनातन संस्कृति के हिसाब से जिन्हें सनातन संस्कृति को इतनी गन्दी गालियां देने का अधिकार  है। कम से कम ब्राह्मणों से एकता की अपील करता हूं ब्राह्मणों से एक हो जाओ इनके कीड़े जग गये हैं स्वामी  प्रसाद मौर्य स्टालिन जैसे अनेक दोगले राजनेताओं की यह दलाल ढोंगी लोग गन्दे कीड़ें है। इनके बाप दादा  को  ब्राह्मणों ने कीड़े बना दिए अब इनको बना दे रहे हैं। सारी व्यवस्था ब्राह्मणों ने ढोंग करके गलत करके रख दी है। जबकि खुद सबसे बड़ा ढोंगी है जिसके प्रमाण साक्ष्य यह है। जैसे की जाती यह बदल रहा है धर्म यह बदल रहा जाति आरक्षण के नाम पर दंगे यह भड़का रहा पार्टियां हर चुनाव में यही बदल रहा है तिन से अधिक पार्टियों में यह खुद विधायक सांसद रह चुका है। इसमें ब्राह्मणों ने तेरा क्या खराब कर दिया माना बौद्ध मठ था जैन मन्दिर था तो राम मंदिर शिव मंदिर कृष्ण मंदिर नहीं था जो जल  गया लुट गया धराशायी हो गया तुम बचा नहीं सके तो अब कोई बनवा रहा है जो जहां था वह हमेशा वही रहेगा तो तुम्हें यह भी बर्दाश्त नहीं तु है क्या सारे बैज्ञानिक खगोल शास्त्री तो नेताओं के तलवे चाट क्यों रहा है। जो हमारा था वह हमारा ही रहेगा सनातन संस्कृति का क्रान्तिकारी पैगाम जागो ब्राह्मणों कम से कम तुम एक हो जाओ हिन्दू तो कभी भी एक नहीं हुए सनातन धर्म हिन्दू सभ्यता के नाम पर कम से कम सारे देश के ब्राह्मण हिन्दू धर्म के नाम पर सनातन संस्कृति के नाम पर राष्ट के नाम पर एक हो जाओ और पुरे भारत में धर्म को पुनः स्थापित करने के लिए धर्म भक्त युवाओं से विशेष आग्रह निवेदन है। नशा मुक्त भारत हो संध्या आरती वंदन हर घर में हो जागो ब्राह्मणों जागो जय हिन्द जय भारत वंदेमातरम जय श्री राम जय श्री राधे कृष्ण हर हर महादेव💐🚩🙏

Monday, 27 February 2023

ओहार

आदरणीय ,
  पाठकों मेरा प्यार भरा नमस्कार
हमारा भारतीय समाज अनेक साहित्यिक परम्पराओं का निर्वहन अलग- अलग स्थानों पर मांगलिक आयोजन करके करता हैं या यूं कहें तो भारतीय प्रथाओं संस्कृति परम्पराओं का निर्वहन करते  हुए आज हैं। जिसमें पुर्वांचल में एक प्रचलित प्रथा मुंडन ओहार या बार भी है।  भारतीय संस्कृति उपनयन संस्कार परम्पराओं का निर्वाह करता बलिया का एक हिन्दू ब्राह्मण परिवार हो या शुद्र जाती सभी अपने बच्चों के मुंडन संस्कार को आज लगभग सैकड़ों सालों से अधिक समय से श्रद्धा से करते आ रहे हैं। जैसी जहां की ऋति रही या रहती है वैसे ही परम्पराओं का निर्वहन सभी करते हैं भारत के विभिन्न राज्यों स्थानों के लोग अलग अलग स्थानों पर अलग अलग तरीकों से धार्मिक आयोजन करते हैं यहां हर पर्व त्योहार उत्सव को हर्ष उल्लास से मनाया जाता है तरिके अनेकों मिलती है अपने भारत देश में लेकिन उत्तर प्रदेश पुर्वांचल बलिया से सट्टे जिलें जैसे -गाजिपुर बक्सर आरा देवरिया छपरा वनारस जहां तक हमने देखा गंगा किनारे ही लोग अपने 05 साल तक के बच्चों का मुंडन (उपनयन) संस्कार किसी सुभ लग्न में देखकर मां पतित पावनी मंगलमयी मां गंगा जी की पुजा बंधु बांधवों के साथ विधी विधान से नाव पुजा करके करते हैं। जिसको ओहार , बार (मुंडन) के नाम से भी जाना जाता है संस्कृति में इसको उपनयन संस्कार परम्पराओं के नाम से जाना जाता है। इसमें सामर्थ्य के हिसाब से सामान्य जिवन जिने वाले लोग हो या एक गरिब व्यक्ति या धनवान सभी अपनी श्रद्धा से मां गंगा जी की पुजा अपने बंधु बांधवों को इकट्ठा करके करते हैं। जिसकी जैसी सामर्थ्य होता है वह उतना ही खर्च पुजा पाठ प्रशाद वितरण करके श्रद्धा पूर्वक करता हैं। इसको  उत्तर प्रदेश बलिया से सट्टे लोकल एरिया में ओहार या बार के नाम से जाना जाता है। किसी बच्चे के पहली बार बाल कटाने वाले दिन मां गंगा जी के घाटों पर लोग अपने बंधुओं के साथ इकट्ठा होकर धुम धाम से श्रद्धा पूर्वक मनातें है। बहुत सारे लोग अपने बच्चों के मुुंडन मंदिरो में भी कराते हैं मैं खुद बलिया का हूं इसलिए हमने भी कयी अवसरों पर सम्मिलित होकर आनन्द लिया है। इन परम्पराओं को आज भी लोग निभातें हुए विश्व कल्याण हेतु निस्वार्थ संस्कृति परम्पराओं में योगदान कहीं ना कहीं हिन्दू भारतीय करते हैं। वस यही हमें हिन्दू भारतीय होने का गर्व कराती है यह लेख मेरे खुद के विचार से है। भले ही मेरा यह लेख  किसी को पसंद आए या ना आए आजिवन मरते दम तक सच्च को सच्च लिखता रहूंगा सच्चाई ईमानदारी के रास्ते पर चलते रहना चाहिए ऐसा सिख हम सबको देने वाले अपने वरिष्ठ परिवार के लोगों के ऊपर हमेशा गर्व रहेगा हिन्दू सभ्यता संस्कृति की बदौलत ही आजतक अपने धर्म की रक्षा होती रही है।  इसमें सभी हिन्दू का बराबर का योगदान है जो इसको हजारों सालों से निभा रहे हैं जबकि आक्रांताओं ने कोशिश हजारों सालों से तोड़ने की कोशिश करते आ रहे हैं हमारे धर्म संस्कृति परम्पराओं को  विखेरने तोड़ने के लिए हजारों कोशिश की है दुश्मनों ने लेकिन यह आज भी अपने वजूद में है जो हमेशा रहेगा भी मेरे लेख का तात्पर्य केवल हिन्दू धर्म की रक्षा से है मैं रहूं या ना रहूं यह देश और मेरा धर्म सुरक्षित रहना चाहिए मेरी लेख अच्छी लगे तो मुझे सब्सक्राइब जरूर करें और मेरा मनोबल बढ़ाने की कृपा करें। धन्यवाद जय हिन्द जय भारत वंदेमातरम 💐🙏

Thursday, 12 January 2023

कविता कितना बदल गया इंसान

Z                 कितना बदल गया इंसान
समय नहीं सुध लेने को अपने होते जा रहे हैं दूर
आधुनिकता ने देखो कितना किया सबको मजबूर।
अंतर्देशीय पोस्टकार्ड भेजकर कहा अब कोई संदेश भिजवाता है।
बिडियो कालिंग करके ही सब लाईव समाचार सुनाता हैं।
मिलों की दूरी तय करने में अब समय नहीं लगता है।
घर के लोग होते जा रहे दूर अब उनसे दिल नहीं लगता है।
रिश्ते नाते मिट रहें हैं इंटरनेट का जमाना है।
जिसको देखो वही व्यस्त हैं सारा जहां इसका दिवाना है।
समय नहीं .......................…........ रहे हैं दूर
अश्लील होते जा रहे लोग इंटरनेट ने देखो क्या हाल किया 
नग्नता फैला रही है घर की इज्जत लोग कहते इसने क्या कमाल किया।
मेरी मानो तो आज से हो जाओ होशियार इतनी जल्दी कैसे भुला सकते करोड़ों लोगों की शहादत का मलाल।
नज़रिया बदलो नजर वहीं है खुद को बदलो देश वहीं है।
तुम ऐसे भ्रष्ट हो जाओगे तो दुश्मनों ने यह है चाल चली
आज ् लुट रहे हैं देश की इज्जत पिछे भी तो इन्होंने यहीं किए।
राणा प्रताप पृथ्वीराज शिवाजी ने संस्कृति के लिए खुद को कुर्बान किया 
समय ने फिर कुचक्र रचा है फिर से वही पुराना हाल हुआ
समय नहीं............................... हो रहें हैं दूर
मेरी बिनती यही है सबसे घर परिवार के लोगों की बात सुनो
आस पड़ोस रिश्तेदार गांव के लोगों में एक प्रेरणा बनकर उभरो
गर्व करो अपने मातृभूमि पर जिनमें हमने जन्म लिया
सम्मान करो अपने संस्कृति का पुर्वजों ने जिसके लिए बलिदान दिया
यही होगा सच्चा सम्मान कितना बदल गया इंसानz
समय नहीं.       ................... होते जा रहे हैं दूर
           जय हिन्द जय भारत वंदेमातरमz











Sunday, 26 September 2021

बेटि दिवस 2021 की कविता

मां बहन बेटियों का ह्रदय से सम्मान करों।
इनके खातिर मन में ना ही बुरे ख्याल भरो।।
जग में होगा तुम्हारा यश गान सभी करेंगे तुम्हारे सम्मान।
मां बहन दुर्गा स्वरूप  इनके साथ ना करो तुम चुक।।
मां की लहू ने सिंचा तुमको फिर कैसी गन्दीगी नजरों को।
आओ मिलकर स्वर्ग बनाएं मिटती संस्कृति को खुद बचाए।
बेटीयों में ना भेद लगाए इन्हें हमेशा ना आजमाएं।।
यह आपकी सिर्जनहार है यह देवी की अवतार है।
इनसे ही है यह दुनिया इनसे ही यह घर बार है।।
धरती की श्रीगांर बेटियां ममता की मिसाल बेटियां।
बेटियों का करो अभिनन्दन माथे पर लगाकर चन्दन।।
सभी माताओं बहनों बेटियों को बेटी दिवस की रनजीत तिवारी बलिया वासी उत्तर प्रदेश की तरफ से हार्दिक मंगलकामनाएं शुभकामनाएं सादर प्रणाम जय श्री राधे कृष्ण 💐🇮🇳🙏